6 जुलाई को मप्र की जनता अपने पसंद के उम्मीदवार को चुनेगी। इस पूरे चुनाव को देखें तो कहने को ये इलेक्शन लोकल था लेकिन किसी नेशनल इलेक्शन की तरह ही इसमें सारे पॉलिटिकल दांव पेंच नजर आए.. पूरे इलेक्शन को देखे तो एक अदद पार्षद बनने के लिए नेताओं के बीच रस्साकशी हुई.. प्रचार भी धुआंधार हुआ.. राष्ट्रीय स्तर के नेताओं ने मोर्चा संभाला.. आखिरकार लोकल इलेक्शन..... किसी नेशनल इलेक्शन की तरह क्यों लड़े गए.. क्या वजह है..